सरकारी खरीद में घरेलू दवाओं को मिलेगी तरजीह

सरकारी खरीद में घरेलू दवाओं को मिलेगी तरजीह

सेहतराग टीम

सरकार ने घोषणा की है कि दवाओं की सरकारी खरीद में घरेलू स्तर पर उत्पादित दवाओं को तरजीह दी जाएगी। चालू वित्त वर्ष के दौरान दवाओं की सरकारी खरीद में कम से कम 75 प्रतिशत की खरीद स्थानीय अवयव वाली दवाओं की दी जाएगी जबकि 2023-25 तक इसे बढ़ाकर 90 प्रतिशत किया जाएगा।

औषधि विभाग ने यह भी कहा कि यह देश में दवा क्षेत्र में ‘मेक इन इंडिया’ को बढ़ावा देने की कोशिश है। साथ ही जिन दवाओं का निर्माण भारत में नहीं होता है उनमें भी कम से कम 10 प्रतिशत स्थानीय अवयव होने चाहिए।

विभाग ने एक आदेश में कहा कि बाद में ऐसी दवाओं में स्थानीय अवयवों को बढ़ाकर 2019-21 में 15 प्रतिशत, 2021-23 में 20 प्रतिशत और 2023-25 तक 30 प्रतिशत किया जाएगा अर्थात् 2023-25 तक जिन दवाओं को भारत में तैयार नहीं किया जाता है उनकी सरकारी खरीद तभी होगी जब उनमें 30 प्रतिशत स्थानीय अवयव होंगे।

इसी तरह भारत में तैयार की गई दवाओं की चालू वित्त वर्ष में सरकारी खरीद तब ही होगी जब उनमें कम से कम 75 प्रतिशत स्थानीय अवयव होंगे। 2019-21 में यह 80 प्रतिशत, 2021-23 में 85 प्रतिशत और 2023-25 तक 90 प्रतिशत तक बढ़ाया जाएगा।
दवा क्षेत्र में मेक इन इंडिया को बढ़ावा देने के लिए औद्योगिक नीति एवं संवर्द्धन विभाग ने औषिधि विभाग को नोडल एजेंसी बनाया है।

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